डॉ. चंद्रशेखर पवार, डॉ. सतीश पाटील
Water Conservation : पाणलोट व्यवस्थापन प्रकल्प हे रोजगार निर्मितीचे उत्तम स्त्रोत ठरतात. प्रकल्पामधील उपचार (उदा. मृदा संवर्धनाची कामे, वृक्ष लागवड व वनीकरण, फळबाग लागवड आणि इतर संबंधित कामे इ.) करण्यासाठी मनुष्यबळ लागते. त्यात होणाऱ्या रोजगार निर्मितीसोबतच प्रकल्प पूर्ण झाल्यानंतर उपलब्ध होणाऱ्या पाण्यामुळे शेती व पूरक व्यवसायांना चालना मिळून स्वयंरोजगार व उद्योजकता वाढते. यातून उपलब्ध रोजगारांचे प्रमाणही वाढते. त्यातून अल्पभूधारक, भूमिहीन यांना नियमित रोजगार उपलब्ध होतो. एखाद्या पाणलोट प्रकल्पाने किती प्रमाणात नियमित रोजगाराची निर्मिती केली, हेही तपासता येते. त्याला नियमित रोजगार निर्मिती गुणोत्तर (Regular Employment Generation Ratio, REGR) असे म्हणतात. त्याचे गणितीय सूत्र पुढीलप्रमाणे,
n
Ei X Ai ( प्रकल्पपश्चात निर्माण झालेला रोजगार)
i= १
REGI= --------------------------------------------------------- x १००
k
Ej X Aj (प्रकल्पपूर्व परिस्थितीत उपलब्ध रोजगार)
j= १
म्हणजेच
E= i (म्हणजे पिके, फळबागा, वनशेती, वनीकरण, पशुपालन, मत्स्यपालन इ.) या व्यवसायामध्ये प्रकल्पपश्चात वार्षिक उपलब्ध मनुष्यबळ दिवस.
Ai= i (म्हणजे पिके, फळबागा, वनशेती, वनीकरण, पशुपालन, मत्स्यपालन इ.) या व्यवसायासाठी प्रकल्पपश्चात लागलेले क्षेत्र (हेक्टर)आणि त्यात प्रति हेक्टरी वार्षिक उपलब्ध मनुष्यबळ दिवस.
Ej= j (म्हणजे पिके, फळबागा, वनशेती, वनीकरण,पशुपालन, मत्स्यपालन इ.) या व्यवसायासाटी वापरले जाणारे प्रकल्पपूर्व क्षेत्र (हेक्टर) आणि त्यातून वापरले जाणारे प्रति हेक्टरी वार्षिक मनुष्यबळ.
Aj= j (म्हणजे पिके, फळबागा, वनशेती, वनीकरण, पशुपालन, मत्स्यपालन इ.) या व्यवसायामध्ये प्रकल्पपूर्व परिस्थितीत प्रति हेक्टरी उपलब्ध वार्षिक मनुष्यबळ.
आणि
k, n= प्रकल्पपूर्व असलेले व प्रकल्पपश्चात उभ्या राहिलेल्या व्यवसायांची संख्या अनुक्रमे.
हा निर्देशांक काढताना आलेले उत्तर हे कोणतीही धन आणि शंभरपेक्षा अधिक आल्यास नियमित रोजगार टक्केवारीमध्ये वाढ होत असल्याचे समजावे. अशा स्थितीत हळूहळू बाह्य स्थलांतर बंद होते. शिवाय थोड्याफार नैसर्गिक आपत्तीमध्ये रोजगार निर्मितीवर कोणताही परिणाम होत नाही.
कडवंचीचे संक्रमण - दुष्काळी गाव ते सधन गाव
१) प्रकल्प पूर्व परिस्थिती ः पाणलोट क्षेत्र प्रकल्प सुरू असताना ३८५ कुटुंबांपैकी ४२ कुटुंबे हंगामी स्थलांतर करत. २००२ पर्यंत अपघावाचे योग्य व्यवस्थापन, वेगवेगळ्या शासकीय योजनांतून शेततळ्यांची निर्मिती केली गेली. त्यातून पीक पद्धतीत बदल होत गेला. परिणामी, गावातच रोजगाराची उपलब्धता झाल्यामुळे स्थलांतर पूर्णपणे थांबले. प्रकल्प पूर्ण झाला त्या वेळी (२००२ मधील) स्थिती ही प्रकल्पपूर्व स्थिती ही तक्ता क्र. एक दिली आहे.
२) प्रकल्पादरम्यानची परिस्थिती ः कडवंची गावामध्ये मराठवाडा शेती साह्य मंडळ व कृषी विज्ञान केंद्र खरपुडी आणि इंडो जर्मन संस्थेच्या वतीने पाणलोट विकास प्रकल्प २००२ मध्ये पूर्ण झाला. त्यानंतर पाणी उपलब्धतेमुळे शेतीची उत्पादकता वाढली. पूर्वी हंगामी व काही अंशी रब्बी पिके घेणाऱ्या या गावात उन्हाळ्यातही पिके घेतली जाऊ लागली. पारंपरिक सिंचन पद्धतीऐवजी पाणी बचत करणाऱ्या कार्यक्षम पद्धतीचा अवलंब वाढला. कुशल, अकुशल अशा सर्वच मजुरांना वर्षभर रोजगाराची उपलब्ध होऊ लागला. कडवंचीमध्ये या टप्प्यात सर्वसाधारण १,८१,३५१ मनुष्यबळ दिवस इतका विक्रमी रोजगार उपलब्ध झाला. (तक्ता १)
३) प्रकल्पपश्चात परिस्थिती ः २०२३ या वर्षी घेतलेल्या आढाव्यानुसार कडवंची पाणलोट क्षेत्रामध्ये वार्षिक सर्वसाधारण ३,९६,९९८ मनुष्यबळ दिवस इतका रोजगार उपलब्ध झाला. (तक्ता २) प्रकल्पपश्चात द्राक्ष, भाजीपाला, डाळिंब, सीताफळ, आले, गहू अशी नवी पिके वाढली. द्राक्ष बागेचे क्षेत्र ६०० हेक्टर इतके वाढल्याने रोजगाराचे प्रमाण प्रचंड वाढले. स्थानिक मजुरांची संख्या कमी पडू लागल्याने राज्याच्या वेगवेगळ्या भागासोबतच मध्य प्रदेश, बिहार अशा राज्यांतूनही साडेचारशेहून अधिक (३५० पुरुष व १०० हून अधिक स्त्रिया) मजूर गावात येत आहेत. म्हणजेच येथील शेती उत्पादनक्षम बनलीच आहे, पण रोजगारक्षमही बनली आहे. हे गाव स्वावलंबी बनविण्यामध्ये ग्रामस्थ व कृषी विज्ञान केंद्र, खरपुडी यांचे मोठे श्रेय आहे.
तक्ता १- कडवंची गावातील प्रकल्पपूर्व परिस्थितीतील उपलब्ध रोजगार, २००२.
पीक --- क्षेत्र --- प्रति हेक्टरी आवश्यक मनुष्यबळ** --- पेरणीपूर्व मशागत --- प्रति हेक्टरी आवश्यक मनुष्यबळ ** --- पेरणी --- प्रति हेक्टरी आवश्यक मनुष्यबळ** --- तण, खत, कीड व्यवस्थापन --- प्रति हेक्टरी आवश्यक मनुष्यबळ** --- पिकाची काढणी --- प्रति हेक्टरी आवश्यक मनुष्यबळ** --- मळणी, वाळवण, साठवण --- वार्षिक एकूण मनुष्यबळ दिवस --- गणितीय सूत्रानुसार (Ei x Ai)
१ --- २ --- ३ --- ४ (३ × २) --- ५ --- ६ (५ × २) --- ७ --- ८ (७ × २) --- ९ --- १० (९ × २) --- ११ --- १२ (११ × २) --- १३(४+६+८+१०+१२) --- १४ (१३ × २)
बाजरी --- ३०३ --- ३ --- ९०९ --- ४ --- १२१२ --- २० --- ६०६० --- २० --- ६०६० --- ५ --- १५१५ --- १५७५६ --- ४७७४०६८
उडीद --- ४२ --- ३ --- १२६ --- २ --- ८४ --- ४ --- १६८ --- ४ --- १६८ --- ४ --- १६८ --- ७१४ --- २९९८८
मूग --- १६१ --- ३ --- ४८३ --- २ --- ३२२ --- ४ --- ६४४ --- ४ --- ६४४ --- ८ --- १२८८ --- २८९८ --- ४६६५७८
कापूस --- ३४७ --- ३ --- १०४१ --- २० --- ६९४० --- ८ --- २७७६ --- ३० --- १०४१० --- १० --- ३४७० --- २४६३७ --- ८५४९०३९
रब्बी ज्वारी --- ३६१ --- २ --- ७२२ --- ४ --- १४४४ --- ६ --- २१६६ --- १६ --- ५७७६ --- १० --- ३६१० --- १३७१८ --- ४९५२१९८
गहू --- ९९ --- ४ --- ३९६ --- ४ --- ३९६ --- १२ --- ११८८ --- ३० --- २९७० --- १२ --- ११८८ --- ६१३८ --- ६०७६६२
तूर --- ३५ --- ४ --- १४० --- ४ --- १४० --- १० --- ३५० --- १६ --- ५६० --- १० --- ३५० --- १५४० --- ५३९००
आले --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ० --- ०
द्राक्ष --- ६२ --- ५०० --- द्राक्ष पिकासाठी द्राक्ष लागवड, वलांडे तयार करणे, पेस्ट लावणे, खरड छाटणी, मालाची छाटणी, वेगवेगळ्या प्रकारचे डीपिंग, थिनिंग, खत व्यवस्थापन, फवारणी इ. कामांसाठी आवश्यक वार्षिक मनुष्यबळ धरले आहे. --- ३१००० --- १९२२०००
डाळिंब --- ९८ --- ८६५ --- डाळिंब पिकासाठी डाळिंब लागवड, खत भरणे, अंतरमशागत, कीडनाशक फवारणी, मालाची तोडणी, भरणी इ. कामे. डाळिंब पिकासाठी वर्षभर दोन मनुष्यबळ व इतर आवश्यक वार्षिक मनुष्यबळ ग्राह्य धरले आहे. --- ८४७७० --- ८३०७४६०
सीताफळ /मोसंबी --- ० --- १४० --- सीताफळ मोसंबी लागवड खताची भरणी, आंतर मशागत, फवारणी, फळांची छाटणी, प्रतवारी, भरणी इ. कामांसाठी वार्षिक मनुष्यबळ ग्राह्य धरले आहे. --- ० --- ०
भाजीपाला --- ३ --- ६० --- भाजीपाला लागवड खताची भरणी, आंतरमशागत, फवारणी, फळांची छाटणी, प्रतवारी, भरणी इ. कामांसाठी वार्षिक मनुष्यबळ ग्राह्य धरले आहे. --- १८० --- ५४०
पिकांचे क्षेत्र --- १५११ --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- ०० --- १८१३५१ --- २९६६३४६३
टीप ः *एक मनुष्यबळ दिवस आठ तासांचा असतो. ** मनुष्यबळ दिवस.
पेरणीपूर्व मशागतीसाठी सर्रास ट्रॅक्टरचा वापरला जात असल्यामुळे वाहनाचे एकूण मनुष्य दिवस ग्राह्य धरले आहेत.
ॲग्रोवनचे सदस्य व्हा
Read the Latest Agriculture News in Marathi & Watch Agriculture videos on Agrowon. Get the Latest Farming Updates on Market Intelligence, Market updates, Bazar Bhav, Animal Care, Weather Updates and Farmer Success Stories in Marathi.
ताज्या कृषी घडामोडींसाठी फेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम , टेलिग्रामवर आणि व्हॉट्सॲप आम्हाला फॉलो करा. तसेच, ॲग्रोवनच्या यूट्यूब चॅनेलला आजच सबस्क्राइब करा.