महाराष्ट्रामध्ये शेतकरी कापूस, हळद, ऊस, संत्रा, मोसंबी, द्राक्ष, डाळिंब, चिकू, टोमॅटो, वांगी अशा अनेक पिकांसाठी ठिबक सिंचन पद्धतीचा वापर करीत आहेत. ठिबक सिंचनामध्ये पिकांना योग्य प्रमाणात पाणीपुरवठा होण्यासाठी पंपाची निवड महत्त्वाची ठरते. यामध्ये काही तांत्रिक मुद्दे असले, तरी ते शेतकऱ्यांसाठी महत्त्वाचे आहेत. ठिबक सिंचन संचामध्ये पंप, गाळणी यंत्र (फिल्टर), मेन लाईन, सबमेन लाइन, लॅटरल, इमिटर्स किंवा ड्रिपर्स, वॉल्व्ह, खते देण्यासाठी टाकी किंवा व्हेन्चुरी इत्यादी घटक असतात. पाण्याच्या स्रोतापासून ड्रिपरपर्यंत योग्य दाबाने (ऑपरेटिंग प्रेशर) पाणी पोचवण्याचे काम पंप करतो. याकरिता इलेक्ट्रीक मोटार किंवा ऑईल इंजीनचलीत पंप वापरला जातो. इलेक्ट्रीक मोटार पंप निवडताना ठिबकसाठी लागणारा पाण्याचा आवश्यक दाब व प्रवाह दर या बाबी माहीत असाव्या लागतात. या भागामध्ये पाण्याचा दाब म्हणजे काय, व तो कसा काढायचा याची माहिती घेऊ. पाण्याचा दाब (Water pressure), मीटर (m) तसेच किलो प्रती वर्ग सेंटिमीटर (kg/cm२) मध्ये मांडला जातो. पाण्याचा दाबाचा (मीटर) मध्ये उल्लेख करतो त्याचा अर्थ - पाण्याच्या पातळीतील दोन बिंदूच्या मधील उभे अंतर. (आकृती १) पाण्याचा दाब हा किलो प्रति वर्ग सेमी मध्येही मोजता येतो. पाण्याच्या दाबाची आणखी एक व्याख्या अशीही केली जाते. पाण्याच्या टाकीतील ज्या बिंदुपासुन दाब मोजायचा आहे, त्या बिंदूच्या वर असलेले पाण्याचे वजन (किलो) प्रति वर्ग क्षेत्रफळ (वर्ग सेंटिमीटर).
प्रथम काचेच्या सिलेंडरचे आकारमान काढू. सूत्रे ः आकारमान = गोलाकार सिलेंडरचे क्षेत्रफळ x उंची = ( x (त्रिजा)२) × २० = (३.१४ × (५)२ ) × २० =७८.५ × २०= १५७० घन सें.मी. (एक घन से.मी. = एक मिली. = एक ग्रॅम)
आकारमान = क्षमता = १५७० मि.ली. म्हणून पाण्याचे वजन = १५७० ग्रॅम (१००० ग्रॅम =१ किलो ग्रॅम) पाण्याचे वजन बी बिंदूच्या ठिकाणी = १.५७० कि.ग्रॅ. वरील आकृतीमध्ये बी बिंदूच्या ठिकाणी असलेल्या पाण्याचे वजन १.५७० कि.ग्रॅ. आहे आणि सिलेंडरचे क्षेत्रफळ ७८.५ वर्ग से.मी.आहे. बी बिंदूच्या ठिकाणी पाण्याचा दाब (कि.ग्रॅ./वर्ग से.मी.) = १.५७० / ७८.५ = ०.०२ कि.ग्रॅ./वर्ग से.मी. (१ कि.ग्रॅम/वर्ग से.मी. = १० मी.) म्हणजेच बी बिंदूच्या ठिकाणी पाण्याचा दाब = ०.२ मी.
पंपाचा पाण्याचा दाब
तक्ता क्र. १ : पीव्हीसी पाइपमध्ये घर्षणामुळे पाण्याच्या दाबाचा अपव्यय प्रति १०० मी. लांबी (मी). | ||||||||
प्रवाह दर लि./सें. | पाइपाचा व्यास | |||||||
५० मिमी | ६३ मिमी | ७५ मिमी | ९० मिमी | ११० मिमी | १२५ मिमी | १४० मिमी | १६० मिमी | |
१.० | ०.८० | ०.२६ | ०.१२ | - | - | - | - | - |
१.५ | १.६० | ०.५२ | ०.२५ | ०.१० | - | - | - | - |
२.० | २.६३ | ०.८७ | ०.४० | ०.१७ | - | - | - | - |
२.५ | ३.८९ | १.२६ | ०.५९ | ०.२५ | ०.११ | - | - | - |
३.० | ५.३७ | १.७४ | ०.८१ | ०.३४ | ०.१५ | - | - | - |
३.५ | ६.९२ | २.३० | १.०५ | ०.४५ | ०.२० | - | - | - |
४.० | ८.९१ | २.८८ | १.३५ | ०.५६ | ०.२५ | ०.१२ | - | - |
४.५ | १०.७२ | ३.४७ | १.६२ | ०.६९ | ०.३१ | ०.१५ | - | - |
५.० | - | ४.१७ | १.९५ | ०.८१ | ०.३७ | ०.१८ | ०.१ | - |
५.५ | - | ५.०१ | २.२९ | ०.९८ | ०.४४ | ०.२१ | ०.१२ | - |
६.० | - | ५.६२ | २.६९ | १.१२ | ०.५० | ०.२५ | ०.१४ | - |
६.५ | - | ६.६१ | ३.०९ | १.२९ | ०.५८ | ०.२८ | ०.१६ | - |
७.० | - | ७.६९ | ३.५५ | १.४८ | ०.६८ | ०.३२ | ०.१८ | - |
७.५ | - | ८.७१ | ३.९८ | १.६६ | ०.७६ | ०.३६ | ०.२० | ०.११ |
८.० | - | ८.५५ | ४.४७ | १.८६ | ०.८३ | ०.४० | ०.२३ | ०.१२ |
८.५ | - | - | ५.०१ | २.०४ | ०.९३ | ०.४५ | ०.२५ | ०.१३ |
९.० | - | - | ५.५० | २.२४ | १.०२ | ०.५० | ०.२८ | ०.१४ |
९.५ | - | - | ६.०३ | २.५१ | १.१२ | ०.५६ | ०.३१ | ०.१६ |
१० | - | - | ६.६० | २.७५ | १.२३ | ०.६० | ०.३४ | ०.१८ |
पुढील भागामध्ये आपण ठिबक सिंचन व्यवस्थित चालण्यासाठी किती पाण्याचा दाब आवश्यक असतो, हे एक उदाहरण घेत समजून घेऊ. संपर्क ः : डॉ. अशोक कडाळे, (मुख्य शास्त्रज्ञ), ७५८८०८२०६७ : प्रा. गजानन गडदे, (कृषि विद्यावेत्ता), ०२४५२-२२१९३८ (अखिल भारतीय समन्वयित सिंचन पाणी व्यवस्थापन प्रकल्प, वसंतराव नाईक मराठवाडा कृषी विद्यापीठ, परभणी.)
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